Tuesday 26 April 2022

महतारी के सपना अउ साधना अंजोर

सुरता//
महतारी के सपना अउ साधना काल के 'अंजोर'..
    दुनिया म अइसन कोनो मनखे नइ होही, जेला कभू सपना नइ आय होही या वो ह सपना नइ देखे होही. ए बात अलग हे, के हम वो देखे सपना के माध्यम ले भविष्य के गरभ के बारे म आरो देवत इशारा ल समझ नइ पावन या वोला कुछू अलगेच रूप म समझ जाथन. कतकों लोगन तो एला हॉंसी-ठट्ठा म घलो उड़ा देथें. फेर जे मन अइसन सपना ऊपर गहन चिंतन-मनन अउ शोध कारज करे हें, उन एला भविष्य के आरो के रूप देखथें. एकर अलग-अलग बेरा अउ अलग-अलग दृश्य के अलग-अलग व्याख्या घलो करथें.
    अइसने एक सपना जेन हमर महतारी उर्मिला देवी जी देखे रहिन हें, वो ह मोला तब समझ आइस, जब मैं अपन जिनगी के लगभग आधा उमर ल पहा डारे रेहेंव. मोर जनम के समय के बारे म हमर महतारी ह हमेशा ए बतावय- 'तैं जब मोर कोंख म आएस त सांप बनके आएस.
    ए बात ल हमर परिवार वाले मन के संगे-संग अउ सबो तीर-तखार के जानकर मन घलो बतावंय. उन बतावंय- हमर घर हमर बड़े भाई के जनम के बाद अउ कोनो लइका नइ होवत रिहिसे. तेकर सेती परिवार के मन भारी पूजा-पाठ, उपास-धास अउ तिरथ-बरत करंय. आखिर सात-आठ साल के अंतराल म मोला गरभ म आएस काहंय. हमर महतारी बतावय- जब तैं मोर गरभ म आएस, त सांप बनके आएस अउ मोला कहेस- 'बेटी मोला अबड़ भूख लागत हे, कुछू खाए बर दे. अब मैं तोरे घर म रइहौं. बस अइसे कहेस अउ फेर सांप ले एक ज्योति के रूप म बदल के मोर पेट म समा गेस.'
    बिहनिया जब उठ के ए सपना के बारे म आस-परोस के मनला बताएंव, त वोमन हमर घरेच जगा एकठन भिंभोरा रिहिसे, तेमा दूध अउ लाई चढ़ाए बर कहिन. मैं सबो झन के बात ल मान के वो भिंभोरा म कटोरी भर दूध अउ दोना म लाई चढ़ाएंव. देखतेच देखते वो भिंभोरा ले एक ठन सांप निकलिस अउ हम सबके आगूच म वो दूध अउ लाई ल कूद-कूद के खाए लागिस. खाए के बाद फेर भिंभोरा म खुसरगे.
    हमर महतारी काहय- 'ए घटना अउ सपना के सेती मैं तोला हमेशा अपन ददा (हमर नाना) ह मोर घर आए हे काहंव'. वो बतावय के हमर नाना जी अपन बेरा के नामी जादूगर रिहिन हें. वो अपन छोटे भाई संग जादू के कार्यक्रम देखाए बर दुरिहा-दुरिहा तक जावंय. अइसने एक कार्यक्रम देखावत बेरा उनला उंकरेच पोंसे एक सांप ह चाब दिए रिहिसे, तेकर सेती उंकर निधन होगे रिहिसे.
    ए घटना ल सुरता करत हमर महतारी मोला भारी मया करय. एक तो अपन ददा ल अपन घर लहुट के आगे हे सोचय, ऊपर ले आठ बछर के अंतराल म घर म लइका होए के खुशी. हमर महतारी के संगे-संग पूरा परिवार अउ आस-परोस सबके अबड़ दुलार मिलय. वो बतावय- तैं अबड़ उतलइन घलो रेहे. तोर जंवरिहा जतका लइका राहंय, सबला मार देवस, ढपेल के गिरा देवस नइते कटकटा के उंकर हाथ-गोड़ ल चाब देवस. तेकर सेती उंकर महतारी मन तोर अबड़ शिकायत घलो करे बर आवंय- 'देख ले मास्टरिन तोर लइका ह मोर लइका ल चाब दिस कहिके.'
    तभो हमर महतारी ह मोला कभू मारत-पीटत नइ रिहिसे. एक तो अपन ददा आय समझय अउ ऊपर ले आठ साल बाद होए हे कहिके सोग मरय. वो ह माईलोगिन मनला लेवौ न वो लइका-लइका के खेल म हो जथे कहिके मना लेवत रिहिसे.
    हमर महतारी ह अपन जिनगी के अंतिम बेरा तक ए बात ल बतावय अउ मोला अपन ददा च आय समझ के मया करय. फेर मोला ए सपना वाले बात के असलियत के तब जानकारी होइस, जब मैं साधना म आएंव अउ मोला वोकर माध्यम ले 'ज्ञान-अंजोर' मिले लागिस. तब समझ पाएंव के वो सपना असल म का रिहिसे?
बस वोकर बारे म अतके- जय भोले.. ऊँ नमः शिवाय 🙏
(संलग्न फोटो म अपन महतारी संग मैं सुशील)
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

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