Thursday 7 April 2022

छत्तीसगढ़ी के पहिली कहानी

छत्तीसगढ़ी के पहिली कहानी
        डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा के किताब 'छत्तीसगढ़ी भाषा का उद्विकास' के अनुसार छत्तीसगढ़ी के पहिली कहानी हीरालाल काव्योपाध्याय के 'श्री रामचंद्र की कथा' ल माने जा सकथे। पुस्तक म लिखाय हे- "छत्तीसगढ़ी में हीरालाल काव्योपाध्याय ने ही सर्वप्रथम कथालेखन का श्रीगणेश किया था। उनके व्याकरण ग्रंथ में छत्तीसगढ़ी में 'श्री रामचंद्र की कथा', 'ढोला की कहानी' और 'चँदैनी की कहानी' निबद्ध है।" क्रम ल देखे जाय तो पहिली  नंबर म ' श्री रामचंद्र की कथा' हवय तौ इही ल छत्तीसगढ़ी के पहिली कहानी अउ एखर रचनाकाल व्याकरण ग्रंथ के रचनाकाल ल ही माने जाना चाही। ये व्याकरण ग्रंथ सन् 1885 म लिखे अउ 1890 म प्रकाशित करे गे रिहिस।
श्री रामचंद्र की कथा...
       "अजोद्धा के राजा दसरथ के तीन रानी कौसिल्ला, कैकेई अउ सुमितरा रहिन। अउ चार लइका सुंदर-सुंदर रहिन, रामचंद्र, लछमन, भरथ अउ सतरुघन। इनमा रामचंद्र तो गजबेच सुंदर रहिन। ए लइका रहिन तभेच अपन गुरू विस्वामित्तर के संग माँ बन का गइन अउ बड़े-बड़े राछस मन ला मारिन। छोटे भाई लछमनो राम के संग म रहिन अउ राछस मन ला मारिन। अइसे काबर नइ होही? का हे के रामचंद्र तो भगवान के औतार रहिन अउ लछमन सेस के औतार रहिन। तहाँ ले दूनो भाई अपन गुरू के संग माँ जनकपुर माँ आइन। इहाँ जनकपुर माँ राजा जनक के राज रहिस। इंकरो एक कैना रहिन। इंकर नाँव छीता (सीता) रहिस। ए तो गजबेच सुंदर रहिन। छीता के सुंदरई तो कुछ कहे नहीं जात रहिस। इहाँ राजा जनक के परन रहिस के जउन कोनो मोर इहाँ के महादेव के धनुस ला टोरही तेही ला अपन छीता ला बिहाव म देहौं। एही मारे इहाँ खुबी अकन राजा मन देस-देस ले आय रहिन।"
      डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा के पुस्तक म अतके कथा के वर्णन हे। बाद म एखरे हिन्दी अनुवाद घलो देय गे हे।

जय छत्तीसगढ़.. जय छत्तीसगढ़ी..

   

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