Saturday 25 April 2015

प्यासा पनघट पर बैठा है...
























ताल-तलैये सूख गये, नदियों की भी यही कहानी
प्यासा पनघट पर बैठा है, भरकर आंखों में पानी
कोई भगीरथ बन वापस लाओ, सूखे जलस्रोतों को
जीव-जंतु में आ जाये फिर, जीवन की नई रवानी

सुशील भोले 
मो. 80853-05931, 98269-92811

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