Saturday 18 April 2015

कौशल्या जन्मभूमि...

 कौशल्या मंदिर प्रवेशद्वार

मंदिर परिसर में बेर पेड़ के नीचे गिद्धराज जटायू की प्रतिमा...

कौशल्या मंदिर का प्रांगण...

 मंदिर का गर्भगृह ..माता कौशल्या की गोद में भगवान राम की प्रतिमा..

गर्भगृह में लेखक सुशील भोले एवं मित्र चोवाराम वर्मा

मंदिर परिसर में सीताफल का पेड़ जो मनोकामना नारियल बांधने का काम आ रहा है..

मंदिर परिसर में भगवान महादेव एवं नंदी की भव्य प्रतिमा...

भगवान राम की माता कौशल्या की जन्मभूमि के संबंध में अलग-अलग विद्वानों की अलग-अलग राय है। कई उनकी जन्मभूमि छत्तीसगढ़ प्रदेश के बिलासपुर जिला के अंतर्गत ग्राम कोसली को कहते हैं, तो कई दक्षिण कोसल की राजधानी श्रीपुर (वर्तमान सिरपुर) को, और उसके संबंध में यह तर्क देते हैं कि चूंकि कौशल्या कोसल प्रदेश की राजकन्या थी इसलिए उसकी राजधानी में ही उसका जन्म हुआ होगा। लेकिन अधिकांश लोग रायपुर जिला के ग्राम चंदखुरी की पूर्व दिशा में स्थित तालाब के बीच में निर्मित प्राचीन कौशल्या मंदिर को ही कौशल्या जन्म स्थल के रूप में स्वीकार करते हैं।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से पूर्व दिशा में लगभग 30 कि. मी. की दूरी पर स्थित चंदखुरी ग्राम के तालाब में स्थित कौशल्या मंदिर संभवत: देश का एकमात्र कौशल्या मंदिर है। मंदिर के गर्भगृह में माता कौशल्या की गोद में भगवान राम की प्रतिमा है। यहां प्राचीन समय से ही दोनों नवरात्र के समय ज्योति कलश की स्थापना की जाती है। आज से पंद्रह-बीस वर्ष पूर्व यह स्थल उजाड़ और उपेक्षित स्थल के रूप में दिखाई देता था। लेकिन आज यह बहुत ही सुंदर तीर्थ स्थल के रूप में विकसित हो चुका है।

आज से लगभग 20 वर्ष पूर्व जब हम वहां गथे थे, तब वहां तक जाने के लिए कोई रास्ता नहीं था। मंदिर तालाब के बीच में स्थित होने के कारण वहां तक तैर कर जाना होता था। नवरात्र के समय में ग्रामवासी वहां तक जाने के लिए लकड़ी का पुल (चैली) बना दिया करते थे। आज करीब 20 वर्षों के बाद वहां जाना हुआ, तब उसका विकसित रूप देखकर सुखद आश्चर्य हुआ।

सुशील भोले 
म.नं. 54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल - sushilbhole2@gmail.com
ब्लाग - http://mayarumati.blogspot.in/

1 comment:

  1. नमस्कार सुशील जी।
    आपने हमारे ग्राम चंदखुरी में आये बहुत बहुत धन्यवाद।
    मंदिर के बारे में जानकारी दी।
    आपने मंदिर का प्रचार प्रसार में सहयोग दिया है।
    बहुत बहुत धन्यवाद।।

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