Sunday 13 March 2022

भोंड़ू वाले पइसा अउ दोना भर जलेबी

सुरता//
भोंड़ू वाले पइसा अउ दोना भर जलेबी
    अपन लइकई के कतकों घटना अउ उदिम मन ल आज जिनगी के संझौती बेरा म आके गुनबे त गजब निक लागथे. इही मनला गुनत एक पइत मैं एक गीत घलो लिख डारे रेहेंव-
   तैं कहाँ गंवा गे मोर लइकई के हांसी
   सुरता कर देथे अब तोर रोवासी...
   कन्हैया कस महूं ह फुदुर-फुदुर रेंगवं
   मंद पीए कस फेर भुदरूस ले गिरवं
   महतारी ह धरारपटा उठावय
   ठउका कूदे हस कहिके हंसावय
   फेर पलथिया के झडंकौं मैं बासी...
   वाजिब म इही जिनगी के सबले सुनहरा बेरा होथे. मोर जनम भाठापारा शहर म होए हे, अउ मैं उहाँ कक्षा 4 तक मेन हिंदी स्कूल म पढ़े घलो हौं. तब हमन शक्ति वार्ड म राहत रेहेन.
    हमर सियान रामचंद्र वर्मा जी घलो उहीच स्कूल म पढ़ावंय. फेर मैं वोकर संग स्कूल नइ जावत रेहेंव. मैं उहेंच एक अउ गुरुजी रिहिन लेखराम साहू जी उंकर संग सइकिल म चढ़ के स्कूल जावौं.
    मोला सुरता हे. तब मोला हमर सियान ह स्कूल जाए के पहिली रोज एक ठन तांबा के भोंड़ू वाला सिक्का देवय. वो एक पइसा के सिक्का ह गोल तो राहय, फेर बीच म भोंड़ू (छेदा) राहय, तेकर सेती हमन वोला भोंड़ू वाला पइसा ही काहन.
    हमन उहाँ जेन घर म राहन, वोकरेच तीर म एक ठन होटल असन दुकान राहय, जिहां बड़े बिहनिया ले भजिया, जलेबी आदि कतकों किसम के चाय-नाश्ता मिलय. हमन वो भोंड़ू वाले एक पइसा ल धर के उहाँ जावन, त दुकान वाले ह पूरा एक दोना जलेबी धरा देवय. तहाँ ले जलेबी झड़कत घर आवन, अउ जलेबी जब पूरा सिरा जावय, त घर म खुसरन.
    हमर मन के रोज के बुता राहय. वो दुकान वाला कतकों बखत हमर मन संग ठट्ठा-दिल्लगी घलो करय. वो पइसा धर के जावन, त वोला वो ह ढुला के देखय, अउ जब वो ह गोल-गोल ढुल जावय, त हां चलगे कहिके दोना भर जलेबी दे देवय. अउ कोनो दिन जान बुझके तिरछा ढुलो के गिरा देवय, त सिक्का ह नइ चलय (ढुलय), त जा तोर पइसा ह नइ चलिस कहिके घर भेज देवय. तहाँ ले हमर मनके रोना हो जावय.
    वो दुकान वाले के अइसन मजाक ह जादा करके छुट्टी के दिन ही होवय. बस तहाँ ले हमन रोवत-रोवत घर आवन. घर वाले मन जान डरयं, के दुकान वाले ह मजा ले बर नइ चलय काहत हे कहिके. तभो हमन ल वो पइसा ल ढुला के देखावय अउ एदे चलगे कहिके फेर उहिच सिक्का ल दे देवय. तभो हमन रोवन. नहीं ये नइ चले हे दूसर दे कहिके.
    आखिर थक-हार के घर वाले मन दूसर सिक्का देवय, हमन वोला घर ले लेके दुकान तक ढुलावत-ढुलावत जावन अउ एदे देख ले चलत हे कहिके देवन, त दुकान वाला हांसत जलेबी दे देवय, अउ वो तीर खड़े लोगन संग गोठियावत काहय- देखे गुरुजी के लइका ल लुढ़ारे म कतका मजा आथे, कहिके हांसय.
    बस वो भोंड़ू वाले सिक्का ल कुछेच दिन देख पाएन तहाँ ले, निंधा (बिना छेद) वाले सिक्का ह चलन म आगे.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

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