विरासत : संघर्ष के रद्दा रेंगइया ल मिलथे सम्मान
साहित्य ल समाज के दर्पण कहे जाथे. ए ह सोला आना बात आय. जब हमला कोनो समाज विशेष ल जानना-समझना होथे त वोकर ले संबंधित साहित्य ल खोज-निमार के पढ़े बर लागथे. ठउका अइसने कोनो मनखे विशेष के जिनगी ल पूरा जानना हे, तभो अइसने करे बर लागथे.
मैं हमर समाज के दू बेर केन्द्रीय महामंत्री रहे रामसेवक वर्मा जी ल पहिली सिरिफ मनवा कुर्मी समाज के महामंत्री के रूप म ही जानत रेहेंव. काबर ते महूं ल एक पत्रकार अउ साहित्यकार होए के सेती हमर रायपुर के सामाजिक पदाधिकारी मन सामाजिक गतिविधि म संघारत राहंय, तब वर्मा जी संग भेंट-मुलाकात हो जावत रिहिसे.
फेर पाछू जब वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. परदेशी राम वर्मा जी के अगासदिया के आयोजन म कभू-कभार भिलाई जाना होवय, त उहों भेंट-जोहार हो जावत रिहिसे. एक पइत उंकर छोटे भाई विष्णु वर्मा जी मोर एक किताब 'आखर अंजोर' ल पढ़ के प्रभावित होइन अउ मोर संग भेंट करे बर हमर घर आइन, त बाते-बात म जानेंव के, रामसेवक जी आध्यात्मिक रूप ले आचार्य रजनीश 'ओशो' ले प्रभावित हें, अउ उंकर संस्था संग पूरा समर्पित भाव ले जुड़े हें.
तभो ले उंकर बारे म वतका नइ जानत रेहेंव, जतका उंकर अभी छप के आए किताब 'विरासत' ल पढ़े के बाद जान पाएंव. मजेदार बात तो ए हे, के ए 'विरासत' ल पढ़े के बाद मोला इहू जानकारी मिलिस, उंकर ससुर स्व. श्री लखन लाल जी अउ मोर बूढ़ी सास स्व. हिरौंदी देवी जी सगे भाई अउ बहिनी रिहिन.
रामसेवक वर्मा जी दाऊ श्यामाचरण बघेल जी के अध्यक्षीय कार्यकाल म दू बेर सन् 1997-99 अउ 2013-15 तक तीन-तीन बछर के दू कार्यकाल म हमर समाज के केन्द्रीय महामंत्री के रूप म कारज पूरा करे हें. उंकर ए दूनों कार्यकाल ल समाज म करे गे क्रांतिकारी बदलाव के रूप म हमेशा सुरता करे जाही.
छत्तीसगढ़ म निवासरत समाज मन म हमर समाज ल मैं बहुते प्रगतिशील अउ क्रांतिकारी समाज मानथौं. काबर के, ए समाज के योगदान ह सामाजिक, सांस्कृतिक अउ राजनीतिक उत्थान के संगे-संग देश के आजादी खातिर होए सुराजी आन्दोलन अउ वोकर बाद अलग छत्तीसगढ़ राज के आन्दोलन अउ स्थापना म छत्तीसगढ़िया मनके अगुवा के भूमिका निभाए हे. ए बात ल पूरा छत्तीसगढ़ स्वीकार करथे.
'विरासत' शीर्षक ले प्रकाशित ए किताब ल पढ़े के बाद जान पाएंव, के रामसेवक जी कतका संघर्ष के रद्दा रेंगत आगू बढ़े हे, अउ एक आदर्श मनखे के जिनगी जीयत संझौती बेरा म खड़े हें.
आदरणीय रामसेवक जी के ए जम्मो संघर्ष पूर्ण अउ एक आदर्श जीवन ल देखत मोर मन म ये चार डांड़ गूंजत हे...
बिन घिसाय लगय नहीं माथ म ककरो चंदन
न होवय पूरा एकर बिन 'भोले' के पूजा-वंदन
अइसनेच होथे जिनगी म घलो महके खातिर
जे धरथे संघर्ष के रद्दा वोकरे होथे अभिनंदन
-सुशील वर्मा 'भोले'
नगरगांव वाले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811
Saturday, 5 March 2022
विरासत : रामसेवक वर्मा
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