Saturday 26 March 2022

शुभकामना.. अशोक पटेल

शुभकामना संदेश..
    अशोक पटेल 'आशु' के कविता संकलन 'छत्तीसगढ़ के चिन्हारी' के पांडुलिपि देखे बर मिलिस. एमा समाए जम्मो 45 रचना अपन गाँव-गंवई अउ परब-तिहार के चिन्हारी कराथे. छत्तीसगढ़ के असल चिन्हारी तो इही सब मन आय, जेला गाँव के संगे-संग साहित्य म घलो संजो के राखे के जरूरत हे.
     आज हम आधुनिकता के नांव म अपन मूल चिन्हारी मनले दुरिहावत जावत हन. सबोच दृष्टि ले. परब-तिहार, गाँव-बस्ती, पहनावा- ओढ़ावा सबो म ए सब दिखत हे. अब तो हमर लेखन म घलो आने-आने भाखा मनके लेखन शैली दिखे लगे हे, एकरे सेती कोनो छंद के नांव म लघु-गुरु के मात्रा गिनत हे, त कोनो गजल-सजल के जोम करत हे. लेखन के भाखा भले छत्तीसगढ़ी हे, फेर शैली आने-आने. जबकि हमर छत्तीसगढ़ी के पद्य लेखन तो सुर अउ ताल ऊपर आधारित होथे. सुर अउ ताल बद्ध होथे.
    मोला आज छत्तीसगढ़ी के महान संगीतकार खुमान साव जी के सुरता आवत हे. उन बतावंय- 'एक बेर 'चंदैनी गोंदा' के गीत मनके रिकार्डिंग खातिर मुंबई गे रेहेन. उहाँ रिकार्डिंग स्टूडियो म एक करमा गीत-
दिया के बाती ह वो कइसे सच बात ल कहिथे जले के बेर...
     एकर गायन अउ ताल ल सुनके उहाँ बइठे मुंबइया संगीतकार मन माथा धर लिन, काबर ते ए करमा गीत म पांच मात्रा के ताल हे. दुनिया के जतका संगीत हे सबमा दू मात्रा चार मात्रा आदि के सम ताल होथे, फेर ए गीत म पांच मात्रा के विसम ताल रिहिसे. उहाँ बइठे जम्मो मुंबइया संगीतकार मन वो ताल ल बजाए के कोशिश करिन, फेर बजा नइ पाइन.
    एकरे सेती कहिथौं, हमन अपन पारंपरिक लेखन शैली, गायन अउ वादन शैली के संगे-संग जम्मो किसम के परंपरा के पोसन करना चाही. आधुनिकता अउ कथित विकास के नांव म दूसर मनके अंधानुकरण नइ करना चाही.
    मोला अशोक पटेल के 'छत्तीसगढ़ के चिन्हारी' संकलन म सकलाए जम्मो रचना मन अपन परंपरा के संरक्षण करत लागिस. बड़ सुग्घर लागिस. इही किसम जम्मो नवा रचनाकार मनला अपन पारंपरिक जम्मो जिनिस के संरक्षण-संवर्धन के बुता म आगू आना चाही.
    मोर शुभकामना हे, अशोक जी के सुग्घर उदिम ह जम्मो झनला भावय, अउ वोकरे सहीं अपन परंपरा के पोसन खातिर सबला अंजोर देखावय.
   बधाई 🌹🌹
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा.9826992811

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