Thursday 17 March 2022

छत्तीसगढ़ी ढाबा.. हेमनाथ यदु

जन्म 1 अप्रैल , निधन 5 अप्रैल
छत्तीसगढ़ी ढाबा ल पोठ करइया हेमनाथ यदु
    छत्तीसगढ़ राज निर्माण खातिर जब ले हमर पुरखा मन सन् 1950 के दशक म आन्दोलन के जोंग जमाइन, ओकरेच संगे-संग इहाँ के गुनिक साहित्यकार मन घलो एकर भाखा-साहित्य के कोठी ल जबर भरे बर मिशन बना के छत्तीसगढ़ी म गजबेच लिखिन. ए रद्दा म ठोसहा बुता करइया वाले मन के अगुवा के डांड़ म हेमनाथ यदु जी के नांव सोनहा आखर म लिखाय जगजग ले दिखथे.
    रायपुर के महामाई पारा म 1 अप्रैल 1924 के बृजलाल यदु अउ महतारी गोदावरी देवी के घर जनमे हेमनाथ जी नान्हे उमर ले ही लिखे ले धर लिए रिहिन हे, फेर उनला वतका सफलता नइ मिल पावत रिहिसे. ठउका उही बेरा उन सुप्रसिद्ध लोककवि बद्रीबिशाल यदु 'परमानंद' जी के संगत धरिन. बद्रीबिशाल जी अउ हेमनाथ जी दूनों कका-बड़ा के भाई रिहिन, तभो ले हेमनाथ जी उनला अपन साहित्यिक गुरु के पदवी दिन. इहाँ ए जानना जरूरी हे, परमानंद जी वो बखत के सुविख्यात लोक गीतकार के रूप म जाने जावंय. पूरा छत्तीसगढ़ म परमानंद भजन मंडली के नांव म उंकर पचासों मंडली चलय, उही म जुड़ के हेमनाथ जी घलो उहाँ के प्रमुख कवि अउ भजन लिखइया बन गइन.
    वइसे तो हेमनाथ जी अपन जिनगी के शुरूआत शिक्षकीय कार्य ले करिन. डिस्ट्रिक्ट कौंसिल के जमाना म रायपुर ले ही लगे गाँव कांदुल म 2-3 बछर पढ़ाइन, फेर सन् 1953 म लोक निर्माण विभाग म अनुरेखक के पद म चल दिन, इही बेरा म उंकर भेंट बड़का साहित्यकार हरि ठाकुर जी संग होइस. इहें ले फेर उनला साहित्य लेखन के एक ठोस रस्ता मिलिस. फेर धीरे धीरे उन आस-पास के आने साहित्यकार मन संग मेल-भेंट करे लगिन. तहाँ ले शारदा चौक रायपुर के उदयराम साहू जी के घर म होवइया गोष्ठी आदि म जाए लागिन. संगे-संग कवि सम्मेलन मन म घलो संघरे लागिन. उंकर एक छत्तीसगढ़ी गीत तब जगबेच लोकप्रिय होय रिहिसे, जेला उन प्रायः हर मंच म सुनावंय-
   सुरता राखे रा संगवारी
   तोर बर खुल्ला हवे दुवारी
   मोर राहत ले कोनो तोला
   कइसे देही गारी...
    हेमनाथ जी के कुछ गीत मनके वो बखत ग्रामोफोन रिकार्ड घलो बने रिहिसे, जेला गंगाराम शिवारे जी अपन आवाज दे रिहिन हें. हेमनाथ जी के एक गीत ल दाऊ रामचंद्र देशमुख ह अपन ऐतिहासिक प्रस्तुति 'चंदैनी गोंदा' म घलो लिए रिहिन हें-
   चल शहर जातेन रे भाई
   गाँव ल छोड़ के शहर जातेन
    ए गीत ल भैयालाल हेड़ाउ जी अपन स्वर दिए रिहिन हें. सन् 1974 म उंकर मयारुक रचना मन के संग्रह 'सोन चिरइया' छपे रिहिसे, जेकर भूमिका म प्यारेलाल गुप्त जी ए डांड़ ल उद्घृत करे रिहिन हें-
   छत्तीसगढ़ी के मनखे सुघ्घर, गजब मीठ उनकर बोली
   महानदी के जल म जइसे, मधुरस ला देइन घोली
    हेमनाथ जी 1970 के आसपास दैनिक युगधर्म म 'अपन बात' शीर्षक ले एक साप्ताहिक कालम घलो लिखत रिहिन हें, जेन वो बखत गजबेच लोकप्रिय होय रिहिसे. उंकर कतकों लेख, कविता अउ निबंध आदि दैनिक युगधर्म, नवभारत, राष्ट्रबंधु अउ छत्तीसगढ़ी सेवक आदि मन म छपत राहय. आकाशवाणी रायपुर ले घलो कतकोन कविता मनके प्रसारण होवत राहय.
    हेमनाथ जी गजबेच लिखत रिहिन हें, फेर वोमा के कुछ रचना मन ही किताब के रूप धरे पाइन अउ अबड़ अकन पाण्डुलिपि मन अभी घलो प्रकाशन के रद्दा जोहत हे. उंकर छपे किताब मन म हे- छत्तीसगढ़ के गउ गोहार, सोन चिरइया, छत्तीसगढ़ी रामायण सुंदरकांड, नवा सुरुज के अगवानी, हेमनाथ यदु : व्यक्तित्व एवं कृतित्व, मन के कलपना, छत्तीसगढ़ दरसन, सुरता राखे रा संगवारी. जेन अभी छपे के बाट जोहत हे वोमा- छत्तीसगढ़ी रामायण अरण्य कांड प्रमुख हे. एकर संग अउ कतकों लेखनी हे, जिनला पाठक वर्ग के बीच म आना चाही.
    हेमनाथ जी अउ उंकर सुवारी बिन्दा बाई के तीन बेटा हें- बसंत, बसनू अउ मन्नू. एमा के बड़े बेटा बसंत ह साहित्य के रद्दा म रेंगत रेहे हे. उंकर तीसरा पीढ़ी म घलो सबले छोटे बेटा मन्नू के सपूत देवकांत ह 'परमानंद' उपनाम ल धर के अपन पुरखा मन के रद्दा म रेंगे के उदिम करत हे. वोला शुभकामना हे- अपन पुरखा मन के ठोसहा बुता ल आगू बढ़ावय, संग म वोकर मन के वो जम्मो रचना, जे मन प्रकाशन के अगोरा करत हें, उहू मनला छपवा के छत्तीसगढ़ी भाखा के कोठी-ढाबा ल लबलब ले भरय.
     कहिथें न सोनहा-रतन मन कमती दिन खातिर ये लोक म आए रहिथें. बस झपाझपा काम-बुता करथें, अउ हब ले रेंग देथें. हेमनाथ जी घलो बहुत जल्दी ए दुनिया ले बिदागरी ले लेइन. जिनगी के संझौती बेरा म उनला टोटा के कैंसर होगे रिहिसे. दू बछर तक जमराज संग लड़त रिहिन, फेर अपन रचना धरम ल छोड़िन नहीं. उन अपन आखिरी रचना म महामाया दाई ल अरजी लिखिन-
   दाई कोरा के भर दे दुलार
पिया के घर जाना हे
   कोन जानत हे अब कब आना हे
    पिया के घर जाना हे...
    परम धारमिक, महामाया दाई के परमभक्त हेमनाथ जी रामनवमी के दिन 5 अप्रैल 1979 के अपन पिया के घर सिरतो म चल दिन. आज उन शारीरिक रूप म भले हमर बीच नइहें, फेर उंकर साहित्य, उंकर गीत हमेशा उंकर सुरता देवावत रइही-
    नजरे नजर म गम लेवत रइहव मोर मितान
    नजरे नजर म
    रस्ता ल आवत-जावत    देखत रइहव मोर मितान
    नजरे नजर म....
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

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