मोर अंगना म आबे चिरइया मया के गीत सुनाबे
ये जग तो निरमोही होगे, तैं जीवन राग ल गाबे...
जंगल झाड़ी कस मोरो घर ह तिल-तिल करके उजरत हे
नता-गोता के चिन्हारी नइये सिरतोन सब्बो छूटत हे
पुरखा मन के ये कुंदरा ल फिर से तैं चहकाबे ... चिरइया.....
मन मंदिर म नइ तो जलत ये ककरो मया के जोती ह
न तो ककरो किस्सा कहानी नइए कागज अउ पोथी ह
बंजर बने ये जिवरा के हिरदय ल हरसाबे.... चिरइया.....
छम-छम बाजय पैरी पहिली ये अंगना अउ डेहरी म
सुख-दुख संग म नाचय गावय राग मिलावय मोहरी म
फिर से तैं ह वो बेरा के सुरता ल करवाबे... चिरइया....
तन तंबूरा कस होगे हे, अब तुन-तुन सिरिफ बाजत हे
छिन म टूट जाही तार एकर तो तइसे मोला जनावत हे
अब तो भइगे तोरे आसा जिनगी के स्वांसा चलाबे.. चिरइया...
सुशील भोले
54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
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