इस देश के बहुसंख्यक शोषित, पीड़ित और दलित वर्ग के लोगों को संवैधानिक तौर पर मिलने वाले आरक्षण पर फिर से विचार करने की बात कह चुके राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत अब कह रहे हैं कि जब तक समाज में भेदभाव है तब तक आरक्षण रहना चाहिए।
मित्रों एक प्रश्न जो मेरे मन में अक्सर उठता है, कि जब हम सब यह मानते और समझते हैं कि मनुस्मृति जैसे ग्रंथ जब तक इस देश में है तब तक सामाजिक असमानता और भेदभाव को रोका नहीं जा सकता है। तब एेसे तमाम ग्रंथों और उससे प्रेरित विचारों को हमेशा के लिए अलविदा क्यों नहीं कहा जाता? बजाय आरक्षण पर चर्चा करने के एेसे ग्रंथों और उसके मानने वालों पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जाता? अाखिर सामाजिक भेदभाव कैसे दूर होगा? आप क्या कहते हैं...?
सुशील भोले
मो. 098269-92811, 080853-05931
मित्रों एक प्रश्न जो मेरे मन में अक्सर उठता है, कि जब हम सब यह मानते और समझते हैं कि मनुस्मृति जैसे ग्रंथ जब तक इस देश में है तब तक सामाजिक असमानता और भेदभाव को रोका नहीं जा सकता है। तब एेसे तमाम ग्रंथों और उससे प्रेरित विचारों को हमेशा के लिए अलविदा क्यों नहीं कहा जाता? बजाय आरक्षण पर चर्चा करने के एेसे ग्रंथों और उसके मानने वालों पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जाता? अाखिर सामाजिक भेदभाव कैसे दूर होगा? आप क्या कहते हैं...?
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